परिचय:

 वर्षा वन अनुसंधान संस्थान, जोरहाट, असम, भारतीय वन अनुसंधान और शिक्षा परिषद, देहरादून के घटक संस्थानों में से एक है।

यह संस्थान देश के उत्तर-पूर्व क्षेत्र की वानिकी से संबंधित अनुसंधान तथा विस्तार की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सन् 1988 में अस्तित्व में आया था। संस्थान द्वारा शोध के अंतर्गत वानिकी अनुसंधान के सभी विषयों को सम्मिलित किया गया है। संस्थान के अंतर्गत दो केंद्र (क)  बांस और बेंत हेतु वन अनुसंधान केंद्र, आइजोल, मिजोरम की स्थापना वर्ष 2004 में, तथा (ख) आजीविका एवं विस्तार हेतु वन अनुसंधान केंद्र, अगरतला, त्रिपुरा की स्थापना वर्ष 2012 में की गई है।

 

जनादेश:

1.    प्राकृतिक पुनर्जनन पर ज़ोर देते हुये वन पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण

2.    झूम खेती द्वारा क्षतिग्रस्त क्षेत्रों का प्रबंधन

3.    सामुदायिक वनों का प्रबंधन

4.    पर्यावरण पुनरुद्धार के लिए वृक्षारोपण

5.    बांस और बेंत का संरक्षण और सतत प्रबंधन

 

मूल अनुसंधान क्षेत्र

 1.  झूम खेती का प्रबंधन

2.  कृषि भूमि पर औषधीय और सुगंधित पौधों और बांस और रतन की खेती के लिए मॉडलों का विकास 

3.  जैव विविधता संरक्षण और उपयोग

4.  कृषिवानिकी / सामाजिक वानिकी मॉडलों का विकास

5.  झूम खेती के प्रभाव पर अध्ययन

6.  महत्वपूर्ण प्रजातियों का टिश्यू कल्चर

7.  मृदा और जल संरक्षण

8.  परीक्षण की गई तकनीकों का विस्तार और प्रभाव आकलन

9.  अर्थशास्त्र और बाजार अध्ययन पर जानकारी

10. अकाष्ठ वन उत्पादों का मूल्य वर्धन

11. महत्वपूर्ण प्रजातियों का प्राकृतिक उत्थान

12. प्राकृतिक वनों का प्रबंधन

13. बायोडीजल - वैकल्पिक ईंधन प्रजातियों का विकास

14. महत्वपूर्ण प्रजातियों का नर्सरी तकनीक

15. कार्बन क्रेडिट

 

भौगोलिक क्षेत्राधिकार:

 वर्षा वन अनुसंधान संस्थान भारत के उत्तर पूर्वी भाग में असम के जोरहाट जिले में स्थित है।  संस्थान की स्थापना सिक्किम सहित सभी उत्तर पूर्व राज्यों में वानिकी अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार से संबंधित मुद्दों पर अनुसंधान करने के लिए की गई थी।

 

प्रमुख उपलब्धियां: (विस्तार से देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें)

 1 - Research    1 – अनुसंधान

2 - Education      2 – शिक्षा

 

   चालू परियोजनाएं

   पूर्ण   परियोजनाएं

 

अधिक जानकारी के लिए  देखेंhttp://rfri.icfre.gov.in/